पूरी कहानी

कहां से शुरू करूं पता नी चल रहा। कल की अधूरी बात से पूरा करना चाहूंगा। सरकार की नीतियों के कारण हमारा जूनियर हाई स्कूल और गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई एक साथ होने थी। हमारे जूनियर हाई स्कूल में 3 गुरुजी और एक मैडम थी। दोनों स्कूल एक हो जाने के बाद सभी की पढ़ाई साथ होने लगी पहले हम लड़के ही सारी क्लास में रहते थे अब लड़कियां और लड़कों ने साथ में पढ़ना था। पहले पहले मुझे बहुत खराब लगा मुझे ही नहीं कई लड़कों को। कई लड़कों को सायाद अच्छा भी लगा होगा क्योंकि वो अब लड़कियों के साथ पहली बार पढ़ने वाले थे। वैसे 8th पास करके सब उसी स्कूल में पढ़ते थे जहां हम स्कूल हम 6th में ही आ गए थे अब वहां बहुत सारी मैडम थी। हर क्लास के लिए अलग मैडम आती थी। 6th में हम 42 बच्चे हो गए थे कोई किसी स्कूल से तो कोई किसी स्कूल से पढ़के आया था। मैने इतने सारे बच्चों के साथ पहली बार पढ़ाई कर रहा था। मैडम कुछ पूछ देती तो इतने सारे बच्चों के सामने बोलने का कॉन्फिडेंस था ही नहीं। कई लड़के या लड़कियों का कॉन्फिडेंस काफी अच्छा था क्यूंकि वो सयाद उन स्कूलों से आए थे जहां उनके कॉन्फिडेंस में काम किया गया था। अब जैसे जैसे पढ़ाई आगे बढ़ी कौन बच्चा पढ़ाई में तेज है सबको पता चलने लगा था कुछ महीने बाद हमारे 2 सेक्शन कर दिए गए क्यूंकि ये पहली बार था कि लड़के,लड़कियों को मिलाकर 42 बच्चे हो गए थे और इतने सारे बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत आ रही थी तो हमारे 2 सेक्शन कर दिए गए 3-4 महीने में जो दोस्त बने थे वो इधर उधर हो गए मतलब कई दोस्त (ए ) सेक्शन में चले गए कई (बी) सेक्शन में गए । मेरा सेक्शन बी था। पर जैसे ही एक क्लास खत्म होती थी कोई न कोई ए सेक्शन से बी सेक्शन बी से ए सेक्शन में आता जाता रहता था । में बहुत कम जाता था क्यूंकि में बहुत शर्मीले किस्म का इंसान था अभी भी हूं पर उतना नहीं। अब याद आता है वो दिन अगर अब की बात होती तो हर घंटी के बाद दूसरे सेक्शन में जाता रहता दोस्तों से मिलने। पर खेर मेरे दोस्त बहुत काम थे क्युकी उन दिनों में हर किसी के बहुत काम बातें करता था। क्यूंकि हमें पहले से ये सिखाया गया था कि क्लास में शोर नहीं करना चाहिए। और हम ठहरे सीधे पहले से शोर तो दूर की बात हम हिलते भी नहीं थे । पर अब लगता है थोड़ी बहुत मस्ती कर लेनी चाहिए थी। उन पलों को याद करके अब मजा आता खेर वो दिन गए अब। अर्धवार्षिक परीक्षा हुई पूरी स्कूल में फर्स्ट दिगम्बर आया जो बचपन से मेरे साथ पढ़ता था काफी अच्छा लगता था उसको देखकर। हम भी जैसे तेसे पास हो गए लगभग सभी पास हो गए। वार्षिक परीक्षा में भी सभी पास हो गए। 7th क्लास में गए। कुछ लड़के और लड़कियां 7th क्लास में एडमिशन लेने आए । उनमें से एक दोस्त और बना मेरा। उस समय इतना अच्छा दोस्त नहीं था पर कुछ सालों बाद वो अच्छा दोस्त बन गया था। ए सेक्शन और बी सेक्शन और बढ़ रहा कुछ क्लास ऐसी होती थी कि दोनों सेक्शनों को एक साथ बैठना पड़ता था। 

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