मेरे बचपन के बारे में
July 23, 2019
मेरा नाम Rudransh है मै उत्तराखंड राज्य के एटिहरी गढ़वाल बो क्यूंकि टिहरी गढ़वाल जिले में सबसे बड़ा गांव हमारा है मेरे गांव का नाम मलेथा है। हां वही मलेथा जहां माधो सिंह भंडारी का गांव भी है माधो सिंह भंडारी के वजह से आज इस गांव में खेती होती है गांव की बात और वीर भड़ माधो सिंह भड़ारी की बात किसी अगले ब्लॉग में करना चाऊंगा। अब बात करता हूं अपनी में कई इंसानों की तरह एक साधारण परिवार में जन्मा हुआ इंसान हूं। जिसकी सपने वक्त के साथ बदलते रहते है। और में हर उस इंसान को ऐसा ही मानता हूं जो साधारण परिवार में जन्म लेता है उसके सपने बचपन से एक जैसे नहीं होते वो वक्त के साथ बदलते रहते है या सिट्यूएशन के हिसाब से बदलते रहते है पर एक जैसे नहीं होते। में भी एक बड़े से गांव का एक छोटा सा इंसान हूं में अपनी उम्र आप लोगों को बता दूं में 27 साल का हूं और अभी भी बेरोजगार हूं। मैने सरकारी स्कूल से शिक्षा ली है बचपन में मै पढ़ने में बिल्कुल भी अच्छा विद्यार्थी नहीं था 5th क्लास तक मेरी पढ़ाई एक इंग्लिश स्कूल से हुई जो नाम से इंग्लिश स्कूल थी 5th के बाद मेरे दादा जी ने हमको जूनियर हाई स्कूल में रखा जहां मेरा बड़ा भाई पड़ा था और उस स्कूल की पढ़ाई अच्छी थी जब हम उस स्कूल में गए हम मतलब मेरा दोस्त दिगम्बर भट्ट हम बचपन से साथ पड़े थे कुछ और साथी भी थे पर वो मेरे साथ 5th तक था। 6th में जब हम उस स्कूल गए तो आज भी मुझे याद है कि तब मुझे या हमें पता चला कि पढ़ाई क्या चीज होती है। हमने उस स्कूल में 1 महीने पढ़ा और उस स्कूल और वहां हमें बहुत सारे दोस्त मिले। वहां के टीचर को हम गुरजी कहकर संभोधित करते थे और सबको अच्छा भी लगता था क्युकी गुरुजी भी मजाकिया अंदाज के थे।
2 महीने बाद सरकार की पॉलिसी आयी की स्कूलों को साथ में मिलाया जा रहा है हमारे नीचे वाले स्कूल के नीचे एक गर्ल्स हाई स्कूल भी था तो हमारा ये स्कूल उनके साथ मिलाया गया।
आगे की कहानी अगले ब्लॉक में लिखूंगा
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