नागरिक के कर्तव्य और अधिकार ours rights and duties
नागरिक
कर्तव्य और अधिकार
नागरिकता एक प्रकार से मानवता और सभ्यता का पर्याय बन गया है अच्छे नागरिकों को अपने सभी संबंधों में अच्छा मनुष्य बनना होगा क्योंकि मनुष्य के पारिवारिक,सामाजिक,व्यापारिक, राष्ट्रीय ,अंतरराष्ट्रीय आदि संबंधित सामाजिक दृढ़ता और संगठन में सहायक होते हैं इन सब संबंधों के पारस्परिक विरोध के साथ निर्वाह ही सच्ची नागरिकता है लोकतंत्र राष्ट्र की सफलता के लिए भी जनता में नागरिकता के भावों का मान आवश्यक है।
समाज
मनुष्य की उत्पत्ति समाज में हुई है समाज से भरण- पोषण शिक्षा आदि प्राप्त कर वह हष्ट पुष्ट हुआ है। समाज ही मैं उसकी आजीविका है अथवा समाज की उन्नति में बाधक हो ना गोर कृतज्ञता ही नहीं वरन आत्महत्या है समाज की उन्नति के लिए बहुत सी बातें आवश्यक हैं जो बातें सामाजिक उन्नति के लिए आवश्यक है उनका साधन करना और उनके संपादित होने में योग देना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
हमारे शरीर का महत्व
शरीर रक्षा को शास्त्रों में पहला धर्म साधन बताया है। यदि शरीर ही नहीं तो सफाई और स्वास्थ्य धर्म कहां?मनुष्य शरीर धर्म अर्थ काम मोक्ष का साधन माना गया है यदि वह स्वस्थ नहीं है तो सब साधन विफल हो जाते हैं। मनुष्य को स्वयं स्वास्थ्यरहकर दूसरों को स्वस्थ रहने में सहायक होना चाहिए यदि हमारे पड़ोसी स्वस्थ नहीं हैं और यदि हमारा जलवायु शुद्ध नहीं है तो हमारे स्वास्थ्य को भी आगाह पहुंच सकता है हमारे बिगड़ने से समाज बिगड़ता है और समाज के बिगड़ने से हम बिगड़ते हैं इस प्रकार क्रिया प्रतिक्रिया का रूप से बिगाड़ का रोग बढ़ता रहता है और मनुष्य की हानि होती है इसलिए मनुष्य सबसे पहले अपने आप स्वस्थ रहने का उद्योग करें।
स्वस्थ रहने के लिए अपनी शरीर अपने वस्त्र अपने घर की सफाई अत्यंत आवश्यक है अधिक तर रोग सफाई के अभाव से होते हैं सफाई रखने से केवल शरीर स्वस्थ नहीं रहता वरन मन भी प्रसन्न रहता है और आत्म गौरव पड़ता है स्वयं अपने को स्वच्छ कर अपने मोहल्ले तथा सारे नगर को स्वच्छ और आलोकित रखने में सहायक होना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। मतदाता गन मुंशी पार्टी के मेंबरों पर जोर डाल कर इस कार्य में सहायक हो सकते हैं चुनाव के समय वे लोग व्यक्तिगत संबंध आकर्षणों और प्रलोभन को छोड़कर सच्चे कार्यकर्ताओं को ही अपना मत दें अस्पतालों की सुचारु रुप से चलाने और गरीबों का यथावत दवाई पहुंचाने में सहायक होना भी परम वांछनीय है।
शिक्षा का महत्व
अब बात करते हैं शिक्षा की, शिक्षा के लिए जितना लिखा जाए उतना ही कम है शिक्षा से मनुष्य, मनुष्य बनता है प्रत्येक नागरिक का शिक्षा कर्तव्य है कि वह इस बात को देखिए कि उसके बालकों और नगर और मोहल्ले के अन्य बालक बालिकाओं की ठीक से शिक्षा होती है या नहीं, यदि नहीं होती है तो किस कारण नहीं होती है। यदि पाठशाला में सुधार की आवश्यकता हो तो उस सुधार के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए यदि लोगों की शिक्षा में अरुचि हो तो उनको शिक्षा के लाभ बतलाने और उनके बालकों के लिए शिक्षा सुलभ करवाने का प्रयत्न करें शिक्षा का कार्य स्कूल और कॉलेज की शिक्षा में ही समाप्त नहीं हो जाती वह जीवन पर चलता है।जनता को नागरिकता की शिक्षा देना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। हां यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रकार की शिक्षा देने में किसी प्रकार का धर्म ना आने पाए। शिक्षा सेवा भाव से दी जाए।
सामाजिक उन्नति
सामाजिक उन्नति सहकारिता और संगठन पर निर्भर है प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह स्वयं अपने साथ व्यवहार सामाजिक संघ से लोगों को प्रेम का व्यवहार बढ़ावे और दूसरों को धार्मिक से घृणा भाव को कम करें अपने किसी व्यवहार से उदारता व दूसरों को अपमानित ना करें क्योंकि कोई अपमानित होकर समाज में नहीं रहना चाहता। नागरिक को चाहिए कि वह सांप्रदायिकता और मतभेद से उठने वाले झगड़ों को कम करें। समाज को अंग भंग होने से बचाने की कोशिश करें स्वयं दूसरों के मत का आदर कर लोगों में उदारता के भावों को भावों का उत्पत्ति करें परस्पर उदारता और आदान-प्रदान से ही सामाजिक संगठन पुष्ट होता है।
समाज में हमारा योगदान
जिस प्रकार व्यक्ति का धन के बिना जीवन निरर्थक है वैसे ही समाज का भी। जो नागरिक समयक एक आजीविका द्वारा धनो आर्थिक उन्नति प्रदान नहीं करता वह समाज का घातक है नागरिक को चाहिए कि स्वयं बेकार न होकर दूसरों को बेकारी से बचाए।जो बेकार हो उनके लिए बेकारी दूर करने के लिए साधन उपस्थित करें नगर में उद्योग धंधों की वृद्धि में सहायता दें जो लोग विद्यालय अनुभव से अभाव से अपना व्यवसाय या व्यापार नहीं बढ़ा सकते उनको अपनी विद्या अनुभव से सहायता दें यद्यपि रक्षा और शांति पुलिस और मजिस्ट्रेट ओं का कार्य है तथा तथापि उसमें नागरिकों का सहयोग आवश्यक है रक्षा और शांति प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपनी वास्तविक अपराधियों का पता लगाने में सहायता दें और इस प्रकार बेगुनाहों को पुलिस की अत्याचार से बचाने का उपयोग करें न्याय में व्यक्तिगत संबंधों और प्रलोभन का स्थान देना उचित नहीं नागरिक को चाहिए कि वह देश की रक्षा के लिए फौजी स्वयंसेवकों अथवा स्वयं समितियों का का काम करें क्योंकि नगर की रक्षा देश की रक्षा पर आश्रित है
Comments
Post a Comment