विश्व शांति के उपाय। international peace day
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विश्व शांति के उपाय युद्ध मनुष्य का पार्श्विक प्रवृत्तियों का एक सामूहिक प्रदर्शन है सभ्यता के नियम विधानों ने व्यक्तियों की पर्शविक्ता पर तो बहुत कुछ नियंत्रण कर रखा है पर जहां तक राष्ट्रों का प्रश्न है मनुष्य अपनी पार्श्विक अवस्था से बहुत आगे नहीं बढ़ा है आदिकाल से युद्ध होते आए हैं और मनुष्य जाति की धन और यश लिप्साकी बलिवेदी पर कोटि-कोटि क्या असंख्य नरमेध होते रहे हैं युद्ध के दिनों में धर्म नीति का ह्रास हो जाता है और वन्य या हिंसा पशुओं की नीतियों का व्यापार चल पड़ता है विज्ञान ने राष्ट्र के नख और दांतों को सुदूर व्यापी और तीक्ष्णतम बना दिया जाता है युद्ध के दिनों में मनुष्य के शरीर और मस्तिष्क की सारी शक्तियां जनसंहार में केंद्रित हो जाती हैं और उसके फल स्वरुप जब ध्वंस होता है वह कल्पना नित है प्रजातंत्र राज्यों के स्वतंत्रता संबंधी मूल्यों को भुला दिया जाता है और अपनी धर्म की धारणाओं नैतिक मानव और मानवता पर कोमल वृत्तियों को तिलांजलि दे बैठते हैं हमारा सौंदर्य बोध नष्ट हो जाता है कला और साहित्य की गति निम्न हो जाती है और स्वतंत्र नागरिकों की जबानों पर त