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Showing posts from July, 2019

विश्व शांति के उपाय। international peace day

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                    विश्व शांति के उपाय युद्ध मनुष्य का पार्श्विक प्रवृत्तियों का एक सामूहिक प्रदर्शन है सभ्यता के नियम विधानों ने व्यक्तियों की पर्शविक्ता पर तो बहुत कुछ नियंत्रण कर रखा है पर जहां तक राष्ट्रों का प्रश्न है मनुष्य अपनी पार्श्विक अवस्था से बहुत आगे नहीं बढ़ा है आदिकाल से युद्ध होते आए हैं और मनुष्य जाति की धन और यश लिप्साकी बलिवेदी पर कोटि-कोटि क्या असंख्य नरमेध होते रहे हैं युद्ध के दिनों में धर्म नीति का ह्रास हो जाता है और वन्य या हिंसा पशुओं की नीतियों का व्यापार चल पड़ता है विज्ञान ने राष्ट्र के नख और दांतों को सुदूर व्यापी और तीक्ष्णतम बना दिया जाता है युद्ध के दिनों में मनुष्य के शरीर और मस्तिष्क की सारी शक्तियां जनसंहार में केंद्रित हो जाती हैं और उसके फल स्वरुप जब ध्वंस होता है वह कल्पना नित है प्रजातंत्र राज्यों के स्वतंत्रता संबंधी मूल्यों को भुला दिया जाता है और अपनी धर्म की धारणाओं नैतिक मानव और मानवता पर कोमल वृत्तियों को तिलांजलि दे बैठते हैं हमारा सौंदर्य बोध नष्ट हो जाता है कला और साहित्य की गति निम्न हो जाती है और स्वतंत्र नागरिकों की जबानों पर त

मातृभाषा का महत्व ,mother tongue

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जिस भाषा को मनुष्य स्वाभाविक अनुकरण द्वारा बाल्यकाल से सीखता है उसे हम उसकी मातृभाषा कहते हैं इसी बात को हम दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि जिस भाषा को हम माता की गोद में सीखते हैं वह हमारी मातृभाषा हो सकती है या मातृभाषा है  क्यों है मातृभाषा का महत्व मातृभाषा शब्दों में माता शब्द का अधिक महत्व दिया गया है और यह उचित भी है।यद्यपि हमारे जन्म का कारण माता और पिता दोनों ही हैं इसलिएह शरीर में अधिकांश भाग माता का होने से एवं उसके द्वारा हमारा भरण पोषण होने के कारण माता की ही महत्ता ज्यादा होती है इसलिए जन्म जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं पित्र भूमि नहीं अमेरिका जर्मनी रूस आदि देशों में चाहे जो कुछ भी हो किंतु भारतवर्ष में ऐसा ही कहते हैं भारतवर्ष में माता शब्द को बढ़ा पवित्र माना गया है माता शब्द में एक साथ स्नेह और आदर का भाव होता है माता शब्द के सुनते ही इन भाव की जागृति हो जाती है और एक आनंद का अनुभव होने लगता है मातृभाषा के साथ भी यही भाव लगे हुए हैं हमारा प्रारंभिक ज्ञान मातृभाषा द्वारा ही होता है और हम अपने भावी ज्ञान को भी वह हमें चाहे जिस भाषा द्वारा प्राप्त हो मात

5 नए फीचर्स जुड़े है वॉट्सएप में । जो आपके लिए होंगे फायदेमंद whatsap ke fecher

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वॉट्सएप फीचर्स अभी तक आपको पता नहीं चला है कि वॉट्सएप में 5 नए फीचर्स जुड़ चुके है तो अब जान ले जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते है। वॉट्सएप पर आए दिन आप कुछ ना कुछ खबरे देखते ही रहते होंगे कभी कुछ फीचर्स एड होते है तो कभी कुछ और एड होता रहता है पर कुछ फीचर्स यूजर तक नहीं पहुंच पाते इसका कारण ये है कि फीचर्स की टेस्टिंग की जाती है और टेस्टिंग के लिए बेटा बिल्ड में दिया जाता है और कंपनी इसको बाद में कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम के कारण इसे हटा देती हैइस तरह से ये फीचर्स टेस्टिंग से पहले ही वापस ले लिए जाते है 1-एल्बम इंप्रूवमेंट इस बार एल्बम के लेआउट में बदलाव किया गया है ।अब वॉट्सएप में फोटो को रिसीव या सेंड होने पर आपको ज्यादा जानकारी मिलती है अब आप देख पाते है कि एल्बम में कितने फोटो है और फोटो का साइज भी दिख जाता की की फोटो कितने एमबी या कितने kb की है 2 प्रोफ़ाइल फोटो सवे करने का ऑप्शन बंद वॉट्सएप ने स्क्रीनशॉट के जमाने में प्रोफ़ाइल सेव करने का ऑप्शन बंद कर दिया है कंपनी ने इसे किसी दूसरे यूजर की प्राइवेसी को लेकर किया है 3 फॉरवर्ड काउंट फीचर्स वॉट्सएप

पूरी कहानी

कहां से शुरू करूं पता नी चल रहा। कल की अधूरी बात से पूरा करना चाहूंगा। सरकार की नीतियों के कारण हमारा जूनियर हाई स्कूल और गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई एक साथ होने थी। हमारे जूनियर हाई स्कूल में 3 गुरुजी और एक मैडम थी। दोनों स्कूल एक हो जाने के बाद सभी की पढ़ाई साथ होने लगी पहले हम लड़के ही सारी क्लास में रहते थे अब लड़कियां और लड़कों ने साथ में पढ़ना था। पहले पहले मुझे बहुत खराब लगा मुझे ही नहीं कई लड़कों को। कई लड़कों को सायाद अच्छा भी लगा होगा क्योंकि वो अब लड़कियों के साथ पहली बार पढ़ने वाले थे। वैसे 8th पास करके सब उसी स्कूल में पढ़ते थे जहां हम स्कूल हम 6th में ही आ गए थे अब वहां बहुत सारी मैडम थी। हर क्लास के लिए अलग मैडम आती थी। 6th में हम 42 बच्चे हो गए थे कोई किसी स्कूल से तो कोई किसी स्कूल से पढ़के आया था। मैने इतने सारे बच्चों के साथ पहली बार पढ़ाई कर रहा था। मैडम कुछ पूछ देती तो इतने सारे बच्चों के सामने बोलने का कॉन्फिडेंस था ही नहीं। कई लड़के या लड़कियों का कॉन्फिडेंस काफी अच्छा था क्यूंकि वो सयाद उन स्कूलों से आए थे जहां उनके कॉन्फिडेंस में काम किया गया था। अब जैसे जैसे प

मेरे बचपन के बारे में

July 23, 2019 मेरा नाम Rudransh है मै उत्तराखंड राज्य के एटिहरी गढ़वाल बो क्यूंकि टिहरी गढ़वाल जिले में सबसे बड़ा गांव हमारा है मेरे गांव का नाम मलेथा है। हां वही मलेथा जहां माधो सिंह भंडारी का गांव भी है माधो सिंह भंडारी के वजह से आज इस गांव में खेती होती है गांव की बात और वीर भड़ माधो सिंह भड़ारी की बात किसी अगले ब्लॉग में करना चाऊंगा। अब बात करता हूं अपनी में कई इंसानों की तरह एक साधारण परिवार में जन्मा हुआ इंसान हूं। जिसकी सपने वक्त के साथ बदलते रहते है। और में हर उस इंसान को ऐसा ही मानता हूं जो साधारण परिवार में जन्म लेता है उसके सपने बचपन से एक जैसे नहीं होते वो वक्त के साथ बदलते रहते है या सिट्यूएशन के हिसाब से बदलते रहते है पर एक जैसे नहीं होते। में भी एक बड़े से गांव का एक छोटा सा इंसान हूं में अपनी उम्र आप लोगों को बता दूं में 27 साल का हूं और अभी भी बेरोजगार हूं। मैने सरकारी स्कूल से शिक्षा ली है बचपन में मै पढ़ने में बिल्कुल भी अच्छा विद्यार्थी नहीं था 5th क्लास तक मेरी पढ़ाई एक इंग्लिश स्कूल से हुई जो नाम से इंग्लिश स्कूल थी 5th के बाद मेरे दादा जी ने हमको जू